Atma-Bodha Lesson # 57 :
Manage episode 318219331 series 3091016
आत्म-बोध के 57th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा, उसके एक प्रसिद्द लक्षण के द्वारा बताते हैं। आचार्य कह रहे हैं, की हम सब ने ब्रह्म के बारे में अनेकों से सुना होगा, लेकिन हमें सदैव शास्त्रोक्त लक्षण को ही प्रधानता देनी चाहिए। ब्रह्म वो है जो की अतत-व्यावृत्ति लक्षण के द्वारा वेदांत शास्त्रों में लक्षित किया जाता है। पू स्वामीजी ने बताया के ब्रह्म को लक्षित करने के तीन प्रधान लक्षण होते हैं, उनमे यह लक्षण निषेध प्रधान होता है। अतः हमें निषेध करने के बाद ही जो अवशिष्ट होता है उसे ब्रह्म की तरह से जानना चाहिए। जो शेष रहता है वो कल्पना का विषय नहीं होना चाहिए। वो अद्वय और अखंड आनन्द होता है। आनंद का रहस्य भी पू स्वामीजी ने बताया।
इस पाठ के प्रश्न :
- १. ब्रह्म को लक्षित करने के कौन से तीन प्रकार के लक्षण होते हैं ?
- २. अतद-व्यावृत्ति को समझाएं ?
- ३. आनंद की अनुभूति कब और कैसे होती है ?
Send your answers to : vmol.courses-at-gmail-dot-com
79 episode